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रेखा एक मिसाल है उन महिलाओं लिए जिन्हे सावंला रंग एक रोड़ा लगता है

 रेखा खूबसूरती की बेमिसाल तस्वीर है अगर आप सांवले रंग को जिंदगी का रोड़ा समझते है तो आपको रेखा से  बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। रेखा सौंदर्य और प्रेम का साकार रूप हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से खुद को अभिनय के क्षेत्र में शिखर तक पहुंचाया ।

रेखा
रेखा (फोटो साभार : सोशल मीडिया )
रेखा को शुरुआती दिनों में सांवले रंग, भारी बदन और हिन्दी बोलने में सहज न होने की वजह से दर्शकों से और फिल्म बिरादरी से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर अपनी हार को जीत में बदलने के लिए रेखा ने अपना जज्बा कायम रखा।

राजकीय पुरस्कार पद्मश्री सम्मानित सदाबहार अभिनेत्री रेखा हिन्दी फिल्म जगत की शान हैं। उनके चेहरे की चमक आज भी अन्य अभिनेत्रियों की शान को फीका कर देती है। उनकी खूबसूरती और बेजोड़ अदाकारी आज भी बरकरार है।

अभिनय और मेहनत के बल पर पाया मुकाम 

चेन्नई में तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तमिल अभिनेत्री पुष्पावली के घर 11 अक्टूबर, 1954 को जन्मीं भानुरेखा गणेशन को बचपन से ही अभिनय का शौक था, जिसे उन्होंने बड़ी कठिनाइयां झेलकर पूरा किया।  रेखा के लिए भी अभिनय की मंजिल इतनी आसान नहीं रही। वह पहली बार बड़े पर्दे पर 1966 में आई फिल्म रंगुला रत्नम में बाल कलाकार के तौर पर आईं, लेकिन एक सफल अभिनेत्री बनने का सफर और मुश्किलें बाकी थीं। रेखा को शुरुआत में सांवले रंग, भारी बदन और हिन्दी बोलने में सहज न होने की वजह से दर्शकों से और फिल्म बिरादरी से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, पर रेखा ने कड़ी मेहनत  कर अपनी हार को जीत में बदल दिया ।

रेखा की बॉलीवुड की पहली फिल्म सावन भादो सन 1970 में आई जो रेखा के लिए एक सफल फिल्म रही इस फिल्म से ही रेखा की किस्मत का सितारा चमक गया । 

कुछ दक्षिण भारतीय फिल्में करने के बाद रेखा ने बंबई की ओर रुख किया और हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होंने 1970 में आई फिल्म सावन भादो के साथ आगाज किया अपने अभिनय और मेहनत के बल पर सफलता के मुकाम को हासिल कर लिया रेखा की इस फिल्म ने बहुत नाम कमाया ।

रातों रात मशहूर हो गयी रेखा 

साल 1978 में प्रदर्शित फिल्म घर रेखा के सिने करियर के लिए अहम फिल्म साबित हुई। इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिए वह पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित की गई। साल 1980 में रिलीज फिल्म खूबसूरत रेखा की एक और सुपरहिट फिल्म रही। ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गई।

साल 1981 में रेखा की एक और महत्वपूर्ण फिल्म उमराव जान रिलीज हुई। फिल्म में उन्होंने उमराव जान का किरदार निभाया था। इस किरदार को रेखा ने इतनी संजीदगी से निभाया कि दर्शक आज भी उसे भूल नहीं पाए हैं। इस फिल्म के सदाबहार गीत आज भी लोगों की जुबान पर रहता है। साल 1988 में प्रदर्शित फिल्म खून भरी मांग रेखा की सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है। राकेश रौशन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दमदार अभिनय के लिये रेखा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित की गईं।
रेखा
फोटो साभार : ट्विटर 

2010 में रेखा को देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पद्मश्री से अलंकृत किया गया। जिसे रेखा ने अभिनय और अपने मेहनत के बल पर हासिल किया ।  

नब्बे के दशक में रेखा ने फिल्मों में काम करना काफी हद तक कम कर दिया। साल 1996 में आई फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी में उन्होंने गैंगस्टर माया का किरदार निभाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी। फिल्म में दमदार अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित की गईं। 2010 में उन्हें देश के चौथे सबसे बडे नागरिक सम्मान पद्मश्री से अलंकृत किया गया। रेखा ने अपने चार दशक लंबे सिने कैरियर में लगभग 175 फिल्मों में अभिनय किया है।

रेखा ने जैसे समय को मात दे दी है, वो आज भी उतनी ही सुन्दर और फुर्त हैं जैसे एक युवा रमणी होती है। रेखा ने कभी अपने सावंले रंग को अपनी जिंदगी का रोड़ा नहीं माना कठिन परिश्रम और मेहनत के बल पर हमेशा आगे बढ़ती गयी और सफलता उनके कदम चूमती गयी । आज रेखा उन हजारों महिलाओं के लिए मिसाल हैं जिन्हें लगता है सांवला रंग एक रोड़ा है ।

 मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। 

ये  भी पढ़े - जिसकी शहादत पर रोया भारत और पाकिस्तान देश की बहादुर बेटी नीरजा भनोट


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